स्वच्छता मेरे जीवन का अभियान
आज फिर आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ।सबसे पहले आप सभी को स्वच्छता दिवस की स्वच्छ मन से हार्दिक शुभकामनाएं सादर अर्पित हैं साथ ही साथ गांधी जयंती और शास्त्री जयंती की भी शुभकामनाएं आपको दे ही देता हूँ तो शायद मेरी औपचारिकता भी पूरी हो जायेगी।
चलिए औपचारिकता से एक कदम आगे मैं विषय की ओर बढ़ रहा हूँ।
और आपका विशेष ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि केवल गांधी जयंती के उपलक्ष्य पर”स्वच्छता अभियान”का शुभारंभ एक दिन विशेष के लिए बाकी364दिन”अस्वच्छता फैलाओ अभियान”की जबरदस्त मुहिम का हम कितने अच्छे भागीदार हैं।
जय हो।आडम्बर और दिखावे का।
कहते हैं”स्वच्छता एक दैवीय गुण है”।मैं मानता भी हूँ और हो सकता है आप भी मानते ही होंगे।बहुत सुन्दर।
क्या विचारधारा है!-एक कदम स्वच्छता की ओर।
क्या बात है!भारतीय होने का गर्व इससे बड़ा कभी हो भी नहीं सकता।
“स्वच्छता दिवस”की जगह हम यदि”स्वच्छता वर्ष प्रतिवर्ष”मनायें तो कैसा रहेगा।
भारत सरकार ने जब से”स्वच्छता अभियान”का नारा नोटों में लाया है तब से”साफ भारत”(क्लीन इंडिया)को बल मिला है और”विजय माल्या”और”नीरव मोदी”ने इसे पूरा करके हमें उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।आप भी अनुकरण कर सकते हैं, आप भी सहयोग कर सकते हैं महात्मा गांधी के अधूरे सपनों को पूरा करने में।
स्वागत है आपका बार-बार।
पर विडंबना देखिए महात्मा गांधी के चश्मे में जहाँ स्वच्छ है वहाँ भारत नहीं और जहाँ भारत है वहाँ स्वच्छ नहीं।इस देश में महात्मा गांधी से सबको बहुत ज्यादा प्यार है और सबके पास महात्मा गांधी हैं भी।मगर कैसे?
नोटों के माध्यम से
विचारों के माध्यम से नहीं।
इसिलिए कहा गया है-“गांधी बड़ा ना वो गुजराती भईया,सबसे बड़ा रुपैय्या।”
महात्मा गांधी कुछ भी करा सकते हैं जब तक जीवित थे तब तक”देश के लिए किया”और आज नहीं हैं तो जनता”महात्मा गांधी के लिए”(पैसे के लिए)कुछ भी करने को तैयार है।
इसे कहते है”बलिदान”।वाह मेरा भारत महान।आप सुन रहे हैं ना श्रीमान।
मैं भी स्वच्छता का परम भक्त हूँ”एक दिन”नहीं”प्रत्येक दिन”वाला।मैं हृदय से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी महोदय जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जो उन्होंने”स्वच्छता को अभियान”बनाया।
पर इसका बुरा असर देश पर ना पड़े इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए और गलत प्रेरणा जनता के मध्य ना जाये।वरना खजाना साफ।
हमारे नेता भी इस देश को साफ करने में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं परंतु उनका अर्थ कुछ और ही है।आप जानते हैं मुझे बताने की कोई आवश्यकता नहीं।।
मेरा माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी से करबद्ध निवेदन है कि”वैचारिक स्वच्छता का भी एक अभियान”आरंभ करना चाहिए जो स्वच्छता अभियान को और ज्यादा सार्थक बना सके।
मेरी आत्मा के कण-कण का आह्वान, स्वच्छ भारत हो मेरा सपना।
आइए बढ़ायें अब स्वच्छता की ओर एक कदम अपना।।
स्वच्छता शिक्षा से आती है और शिक्षा कहाँ से आती है?
तो आप जवाब देगें”विद्यालय”से जी हाँ बिल्कुल सही।आप गलत हैं।मैं बताता हूँ।
जीवन स्वयं एक पाठशाला है तो शिक्षा जीवन से आती है।शिक्षा को केवल विद्यालय से जोड़ना मूर्खता है।मनुष्य हर जगह से सीखता है।
शिक्षा के इस व्यापक स्वरूप को हमें देखना पड़ेगा और शिक्षा के इस सर्वश्रेष्ठ रूप को आत्मसात करना पड़ेगा।इस देश को स्वच्छता से पहले शिक्षा की आवश्यकता है।
नहीं विश्वास है तो आंखें उठाकर”केरल”की तरफ देख लिजिए।
शायद खुद की औकात पता चल जाये, मेरी खुद की भी।
शिक्षित बनिए, स्वच्छ रहिए, स्वस्थ्य कहिए, विकास पर चलिए।
“विकास”केवल भाजपा का नहीं सम्पूर्ण भारत वर्ष का नारा है।
“विकास”का राजनीतिकरण सबसे घनघोर और जघन्य अपराध है।
कोई पार्टी इसे अपना आदर्श वाक्य मानती है-सबका साथ सबका विकास
तो आइए स्वच्छता के साथ स्वस्थता के रथ पर यात्रा करें विकास की ओर
लायें आशा की एक नयी भोर
जहाँ सफलता का ना हो कोई छोर
एक दूसरे से बंधे हो हमारे हर एक डोर
हमारी जय जयकार से मन हो भाव विभोर
मेरा कार्य समाप्त, आपका कार्य शुरू।
अब देखना है आप कसौटी पर कितना खरा उतरते हैं
मैं तो पहले से ही सक्रिय हूँ
तभी तो आपके सामने हूँ
आज अपना इरादा भी जाहिर कर दिया
आपका क्या इरादा है?
देख लिजिए।
जय स्वच्छता, जय अभियान
और आपकी भी जय हो भारत के सभी नागरिक महान
अब जाग जाइये कृपा निधान
आप सुन रहे है मेरी जबान-ये आदित्य की ही कलम है श्रीमान।
चलते-चलते आप सभी को मेरा
जय हिन्द,जय भारत
धन्यवाद
फिर मिलेंगे