स्याह रात में
नीरवता की स्याह रात में।
और यूँही बस बात – बात में।
मुझसे मिलने यदि आ जाते,
पास बैठते इस स्याह रात में।
मध्यम हवा का हल्का झोंका।
न कोई बन्दिश न टोकी टोका।
हाथ होता तेरा मेरे हाथ में।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
नीरवता की स्याह रात में।
और यूँही बस बात – बात में।
मुझसे मिलने यदि आ जाते,
पास बैठते इस स्याह रात में।
मध्यम हवा का हल्का झोंका।
न कोई बन्दिश न टोकी टोका।
हाथ होता तेरा मेरे हाथ में।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी