स्मृति
स्मृति (दुर्मिल सवैया )
स्मृति में गुरु देव सदा रहते जिनसे यह जीवन धन्य हुआ।
उनसे शुभ ज्ञान मिला दिलसे समझा हर मर्म सुगम्य हुआ।
मन में रहते उर में बसते गुरु मंत्र सदा सुखदायक है।
गुरु राह बतावत शब्द सिखावत ज्ञान सदा फलदायक है।
स्मृति निर्मल पावन है गुरु की प्रभु रूप स्वयं भगवान वही।
गुरुदेव कृपालु दयालु सदा अति मोहक ज्ञान विधान वही।
उनसे यह जीवन भव्य हुआ स्मृति चिह्न बने गुरु ब्रह्म महा।
न कृपा जिसको गुरु की मिलती उसको मिलता कब ठौर कहाँ?
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।