स्मृति ओहिना हियमे– विद्यानन्द सिंह
आखर स्नेहक ,जतए सखा
सियाक गाम ,सरस बोल
ओ गंगा कातक बौद्धगाछ !
पगमे पग आङन – आङन
पेटी प्रभास लाल पाथर
अतुल्य ओकर अनमोल ।
दिव्यशक्ति प्रभा अंजोर
वंसुधरा , ओ तीरिभुक्ति
राघव जनम पुनः होइ मोर ।
हे मातृ-भूमि करमा !
माटिक चानर तोर
बरिख अस्सी कालचक्रमे
दुलार हमरो अभिलाषा ।
काशी मुगल दंगल लोकमे
विस्मृत संस्कृति आ इतिहास
ओ बड्ड हकन्न नोर कतओ
चगेरि ओट चन्ना चकोर ।
स्मृति ओहिना हिअमे
अतुल्य ओकर अनमोल ।