स्मरण रहे
स्मरण रहे,
सामरिक परिप्रेक्ष्य में
शाब्दिक संघर्ष,
तार्किक विमर्श,
व सांख्यिक निष्कर्ष,
हमें चाहे जितने भी,
प्रखर, प्रचुर,
प्रबल प्रतीत हों,
वे क्षणिक होते हैं,
अस्थाई होते हैं,
वहीं मार्मिक स्पर्श,
पारस्परिक हर्ष,
व आत्मिक उत्कर्ष,
सदा के लिए होते हैं,
दीर्घकाल के लिए
सुखदाई होते हैं
स्मरण रहे
~ नितिन कुलकर्णी “छीण”