स्नेह मधुरस
मुक्तक- १
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छोड़ कड़वाहट मिलाएं स्नेह मधुरस जिन्दगी में।
हो नहीं नीरस कभी आनंद हो बस जिन्दगी में।
खिल उठे बस चांदनी हर ओर आभामय हमेशा।
आ नहीं पाए अंधेरी सी अमावस जिन्दगी में।
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मुक्तक- २
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भूलकर भी हम किसी से शब्द कटुता से न बोलें।
जिन्दगी में खूब जी भर मित्रता के द्वार खोलें।
साथ में सबको लिए अब कार्य सेवा के करें हम।
त्याग कड़वाहट हमेशा नित्य मिश्री खूब घोलें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य