स्नेह का बंधन
स्नेह का बंधन
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बंधन चाहे किसी भी प्रकार का हो अपने स्वभाव, प्रकृति के अनुकूल पारिभाषित अवश्य होता है। सबसे उत्तम, श्रेष्ठ, दृढ़ संकल्पयुक्त और मजबूत बंधन स्नेह का बंधन माना गया है, जो व्यक्ति की अलक्षित,अगोचर अन्तर्भावनाओं से जुड़ा होता है। जो अखण्ड ,अटूट विश्वास पर टिका होता है। यह अन्तर्आत्मा से जुड़ा भाव है। यह शुद्ध पवित्र, प्रेम की कसौटी पर परखा गया भाव है। कोमल भावों से गूंथा हुआ पक्का धागा है जो किसी व्यक्ति की श्रद्धा भक्ति का पर्याय बना रहता है। कमल पंखुड़ियों के मध्य पुष्प रस, सुगन्ध और शोभा से उन्मादित भँवरा रात्रि प्रहर में भी वहीं प्रेम लीन हो आनंदानुभूति अनुभव करता है और प्रातः तक पंखुड़ियों के खिलने तक उसी स्नेह बंधन में बंधा रहता है। जबकि वही भँवरा लकड़ी को आर पार भेद कर बाहर निकल जाता है। यह स्नेह बंधन ही है जो कोमल पंखुड़ियों को भी नही भेद पाया। यही बात हमारे रिशतों में देखी जाती है। आपसी मधुरता रिश्तों की उम्र बढ़ाते है। मधुरता भी वहीं जन्म लेती है जहाँ मानसिक ,वैचारिक और व्यावहारिक रूप से आपसी समझ का सर्वोत्तम तालमेल हो।
जीवन को संतोषजनक और संतुलित बनाये रखने के लिये कभी कभी आत्मविश्लेषण की जरूरत होती है, ताकि विचारों की उधेड़बुन पक्षपातपूर्ण न हो। स्नेह भाव की परिपक्वता बनी रहे ,इसलिए दो विविध विचारों के मध्य माधुर्य का सामरस्य बना रह सकता है। स्नेह का बंधन सदैव अहंकार /घमण्ड /एकाधिकार /ईर्ष्या द्वेष /लालच /नकारात्मक सोच /तुच्छ धारणा जैसी दुर्भावनाओं का वहिष्कार करता आया है। स्नेह कोमल फूलों की मनभावन सुगन्ध है, जो आसपास के वातावरण को भी सुगन्धमय बनाती है। उसके सानिध्य में प्रसन्नता का प्रसार और असीम सौन्दर्यकरण के दर्शन होते हैं। स्नेह के बंधन में बंधी मीरा बाई की कृष्ण भक्ति में अद्भुत आसक्ति पाई गई है। वहीं महाकवि सूरदास जी ने बन्द आँखों से श्रीकृष्ण के बाल रूप /बाल लीलाओं/रासलीलाओं का ऐसा अनूठा चित्रण किया है जैसा कोई नहीं कर सकता। उनकी रचनाओं में श्रृंगार रस की दोनों अवस्थाओं का वर्णन तथा वात्सल्यपूर्ण रचनाओं में अपने ईष्ट देव कृष्ण के प्रति अनुराग, भक्ति भाव और अपूर्व स्नेह देखने को मिलता है। अतः यह भाव हर अनुरागी, वैरागी, प्रेमी मन में निवास करता है। कोमलता सहजता ,मधुरता और आन्तरिक सौन्दर्य जैसे दिव्य गुणों के रक्षा धेरे में यह अधिक दृढ़, ताकतवर माना गया है।
(मौलिक एवं स्व-रचित)
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश ?