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2 Jun 2022 · 1 min read

✍️स्त्री : दोन बाजु✍️

✍️स्त्री : दोन बाजु✍️
—————————————–//
त्यांनी आपल्या
स्त्रियां जपल्या
त्यांनी स्त्रियांची
संस्कृती पण जपली…
बुर्का,निकाब,जिल्बाब,
हिज़ाब किंवा सलवार कुर्ता
हे परिधान
त्यांच्या सर्वांग शरीराचा
सन्मान करतात….
स्त्रियांनी आपली
लाज,लज्जा झाकने
गुलामी नाकारण्या एवढेचं
महत्त्वाचे असते…

तुम्ही नाकारले
स्त्रियांचे हक्क
काळ्या पाटीवर
पांढऱ्या लेखनीचे…
त्यांच्या भाग्यमाथी
सूर्याचं लेण कधी
लेवु दिल नाही…
कधी चीरहरण,
कधी वस्त्रहरण
तर कधी दिव्य
अग्निपरीक्षा…!
नागड्या संस्कृतीला
आपली प्रेयसी मानून
तुम्ही अस्सल मनातून
प्रेम करीत आले तिच्यावर…
आणि म्हणुनच संस्कृती रक्षकांनी
तिचे जतन करण्यासाठी
प्रेमाचं मूर्तिमंत
प्रतिक असणाऱ्या
स्त्रियांना झोकले
बलीदानाच्या अग्निकुंडात…

त्यांनी मात्र इबादत केली
आपल्या स्त्रियांच्या अमरप्रेमाची
त्यांच्या आठवणीत
उभे केलेत भव्य ताजमहल…
इतिहासाला साक्षी ठेवून.

दोन बाजु
स्त्री संस्कृतीच्या
काळ्या असत्यात
तुम्ही मांडल्यात…
एक शाश्वत शुभ्र सत्य
स्त्रियां ह्याच जगाच्या निर्मिक आहेत…!
——————————————————//
✍️”अशांत”शेखर✍️
22/05/2022

Language: Marathi
Tag: Muktak
190 Views
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