स्त्री और पुरषों के स्वभावो में अंतर
अमेरिका में किए गए एक सर्वे के अनुसार ,स्त्री भावो से बहुत कोमल होती है। वह एक फूल के समान कोमल होती है जबकि पुरषों का स्वभाव स्त्री की अपेक्षा कठोर होता है। पर हमे स्त्री की इस कोमलता को कभी भी उसकी कमजोरी समझने की भूल नही करनी चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ पुरुष का स्वभाव आक्रामक व कठोर होता है । वह हमेशा जल्दबाजी में रहता है । हर काम वह जल्दी से निपटाने की कोशिश में लगा रहता है । पुरुष बहुत बेचैन रहता है । उसे धरती पर नही ,हमेशा आसमान में उड़ने की चाह लगी रहती है । इज़लिये वह हवाई जहाज के अलावा न जाने कितनी चीजो का आविष्कार करता आया है । पुरुष को हमेशा ऊंचा उड़ने की चाह लगी रहती है ,इसलिए वह प्रतीकात्मक रूप से बड़ी से बड़ी बिल्डिंग्स बनाता रहता है । बहुत तेज गति में रहता है इसलिए उसने फ़ास्ट बुलेट ट्रेन
कार ,स्कूटर आदि और न जाने कितनी चीजे बनाई है और उनका अविष्कार किया है। सब तेज दौड़ने वाली चीजे बनाई और उनकी गति या स्पीड बढ़ाने में सदैव
लगा रहता है ।उसका मस्तिष्क हमेशा तेज गति से दौड़ता रहता है।
वही दूसरी तरफ स्त्री धरातल पर रहती है ,इसलिए वह घर के अलावा उसे कुछ और सूझता नहीं। स्त्री बहुत धीमी गति से चलती है ,इसलिए उसके चलने में इतना ग्रेस होता है कि स्त्री पैसिव होती है ,इज़लिये धरती पर ज्यादा चीजो के निर्माण में उसका योगदान बहुत कम रहा है ।
स्त्री को दूसरे ग्रह पर जाने की बजाय ,पड़ोस की खबर लेने में ही चैन मिल जाता है । स्त्री अंतर्मुखी होती है ,इसलिए बस अपने को सजाने संवारने में ही जीवन व्यतीत कर देती है ।
इसलिये जो भी महान पुरूष हुए ,जिन्होंने भी परमात्मा को पाया ,वो भी स्त्री की तरह हो गए। उनमे स्त्रीत्व का भाव उनमें ज्यादा हो गया ।
कृष्ण हुए ,बुद्ध हुए ,राम हुए, कृष्ण हुए । इनमें एक अद्भुत सौंदर्य था ,इनमें हिंसा नही थी ।
एक स्त्री से प्रेम का आग्रह करने पर भी वह हिंसा का प्रयोग करता है और उसको जल्दबाजी में स्पर्श करना भी सूक्ष्म हिंसा का ही हिस्सा है ।
स्त्री प्रेम में आंखे बंद कर लेती है क्योंकि वो पुरूष से ज्यादा भावों में जीती है । स्त्री -पुरुष जब प्रेम में हो तो पुरुष को आंखे खोलना पसन्द है क्योंकि वो बहिर्मुखी है ,वही स्त्री अंतर्मुखी होती है ।
स्त्री का शरीर ही इसी तरह निर्मित है कि उसका सारा शरीर एसकैटिक होता है। स्त्री के हर अंग में संवेदनाओं का बहाव होता है जबकि पुरुष स्वभाव से कठोर होता है।
आमतौर पर स्त्री पुरुष जब बिस्तर पर होते हैं तब भी पुरुष जल्दबाजी में रहता हैं ओर इसी कारण उसे संतुष्टि नही मिलती। भोजन जब जल्दबाजी में खाया जाए तो पेट भले भर जाए ,पर उसको संतुष्टि नही मिलती ।
इसलिये जब स्त्री के पास जाओ तो अपनी सांसों की गति धीमी करके जाए ।भावों से भरके जाए।श्रद्धा व समर्पण से भरके जाए।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम