स्तंभ बिन संविधान
बिन स्तंभ सम्विधान,
चल कैसे रहा है !
.
एक नहीं
चारों स्तंभ
अपनी जिम्मेदारी
अपनी जवाबदेही
अपनी मर्यादा भूल चुके है,,
फिर भी लोकतंत्र अपने बलबूते पर खड़ा है.
कैसे ???
दुनिया में भारत की साख..
इसी कारण है,,
यह सदाबहार बेल वाली विचारधारा,
जो बड़े बड़े वृक्षों की जड़ें खोखली कर देती हो,
खुद सदाबहार इसलिए रहती है,
क्योंकि ये परजीवी जाति के सूक्ष्म जीवी होते हैं
जो सीधे मस्तिष्क को हैक करते है,,
तथाकथित देशहित /राष्ट्रवाद जैसा कुछ है नहीं,
सिवाय हिंदू मुसलमान सिख ईसाई
पाकिस्तान के अलावा,
जनता त्रस्त है,
एक दशक की त्रासदी,
में बदलाव,
जनता ही कर सकती है.