स्कूल के लिए प्रयास
मेरी प्रथम नियुक्ति शिक्षामित्र के रूप में 2004 में हुई थी जिसमें मैंने 10 वर्ष तक शिक्षण कार्य किया । फिर मेरा समायोजन प्रथम बैच में हो गया और मैंने लगभग 3 साल तक सहायक अध्यापक के तौर पर कार्य किया। फिर समायोजन निरस्त हो जाने के बाद 2016 की भर्ती में 16448 में मैंने आवेदन किया और मैं सहायक अध्यापिका हो गई और आज मैं अपने विद्यालय में प्रभारी हूं। मुझे कविता लेखन का शौक है और मैं निरंतर कविता लेखन करती हूं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में मेरे कविताओं का प्रकाशन होता रहता है और कई सारे मुझे प्रमाण पत्र भी मिले हैं। मैं ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षामित्र के रूप में सम्मानित की जा चुकी हूंऔर एक कवित्री के रूस में भी सम्मानित की जा चुकी हैं।
मेरा पहला सुधार करने का प्रयास प्रार्थना सभा से शुरू हुआ । मेरे छात्र – छात्राएं प्रार्थना और राष्ट्रगान का ठीक ढंग से उच्चारण नहीं कर पाते थे । मेरे बार-बार समझाने पर भी उनमें सुधार नहीं हो पाया , फिर मैं और मेरे विद्यालय की दूसरी अध्यापिका ने स्वयं ही प्रार्थना कराना आरंभ कर दिया । लगभग छः माह तक लगातार प्रार्थना कराने से हमारे छात्र – छात्राएं शुद्ध उच्चारण , लय , ताल और अनुशासन के साथ प्रार्थना करने लगे और सिंहनाद, योगा , पी टी और सामान्य ज्ञान की भी बढ़िया तरीके से करने लगे ।
मेरा दूसरा सुधार करने का प्रयास छात्र -छात्राओं की उपस्थिति को लेकर था जिसके लिए हमने कक्षा शिक्षक को रुचिकर बनाने का प्रयास किया ,खासतौर पर कक्षा 1, 2 के लिए हाव – भाव के साथ कविता पाठ करना और शिक्षा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कराने लगे । गतिविधि में ” बोल भाई कितने आप चाहे जितने”, “आज हाथी को गिनती सुनाएंगे” , “चिड़िया -चिड़िया उड़ती जा गीत खुशी के गाती जा ” , “अक्षर कूद” , “हवा में लिखो” , “पीठ पर लिखो” , “कानाफूसी” , “कुछ भी बोलो कुछ भी लिखो ” आदि गतिविधियां कराने से बच्चों की उपस्थिति बेहतर होती चली गई । जो छात्र – छात्राएं विद्यालय नहीं आ रहे थे उनके अभिभावक को फोन करके छात्र – छात्राओं के नहीं आने का कारण पूछते थे । यदि किसी कारणवश अभिभावक के पास मोबाइल की सुविधा नहीं है या मोबाइल उनका नहीं लग रहा है , तो उनके घर रसोईया या अध्यापक साथी को भेजकर हालात पता करते थे । इन सब के कारण मेरे विद्यालय के छात्र उपस्थिति बेहतर हो पाई है ।
मेरा तीसरा सुधार करने का प्रयास नामांकन बढ़ाने को लेकर था , जिसके लिए बेहतर से बेहतर शिक्षा के साथ-साथ विद्यालय का बेहतर भौतिक परिवेश बनाने का प्रयास किया गया । घर-घर जाकर अभिभावक से संपर्क किया गया तथा उन्हें प्राथमिक विद्यालयों में मिलने वाली सारी सुविधाओं से पूर्णतया अवगत कराया गया और उन्हें पूर्ण विश्वास दिलाने का कोशिश किया गया कि हम उनके बच्चों को अच्छी
शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे । हमारे अध्यापक साथी विभिन्न जटिल प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करके व प्रशिक्षण हैकरके आये हैऔर अनुभवी भी है । हमारे सरकारी विद्यालय में फीस भी निःशुल्क है । समय-समय पर उनका
स्वास्थ्य परीक्षण भी निःशुल्क करवाया जाता है और निःशुल्क दवाओं का भी वितरण किया जाता है।
परिणाम स्वरूप हर वर्ष मेरे विद्यालय में नामांकन बढ़ता गया।
मेरा चौथा सुधार छात्र – छात्राओं में भाषा और गणित में स्तर अनुकूल सुधार करने का प्रयास था । मैंने कम पैसे और शून्य निवेश वाली वस्तुएं और अपने परिवेश में आसानी से प्राप्त होने वाली वस्तुएं जैसे – पत्ते , कंकड़ , मिट्टी की रंगीन गोलियां, मिट्टी से बनी विभिन्न आकृतियां जैसे- गोलाकार, आयताकार, वर्गाकार ,शंक्वाकार , घनाकार आदि , विद्यालय में लगे फूल व पेड़ों को गिन कर अंक, संख्या लिखना, उनके नाम लिखना, रंग लिखना , विद्यालय की भौतिक वस्तुओं के नाम व संख्या लिखना , गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण कार्य करने से
छात्र – छात्राओं में भाषा व गणित में बेहतर सुधार हुआ है ।
मेरा पांचवा सुधार करने का प्रयास स्वस्थ आलतों का विकास करना था जैसे- सुबह उठना; उसके लिए हमने बताया कि सुबह उठने से क्या-क्या लाभ होता है, जैसे कि सूरज निकलने से पहले उठने से पेट सही रहता है , सुबह दाहिने तरफ से उठना चाहिए , जो नाड़ी चल रहा है उसी पैर को पहले जमीन पर रखना चाहिए , गुनगुना पानी पीकर शौच जाना चाहिए । शौच जाने के कम से कम एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए । सुबह खुली हवा में टहलना चाहिए । सुबह को खुली हवा में व्यायाम करना चाहिए । अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए ,उनका आज्ञा मानना चाहिए, उनका अभिवादन करना चाहिए , गुरु का सम्मान करना चाहिए , माता – पिता के कार्यों में हाथ बटाना चाहिए । नित्य पढ़ाई करना चाहिए और अनुशासन में रहना चाहिए । विद्यालय समय से जाना चाहिए । बेवजह लड़ाई-झगड़े में नहीं आना चाहिए । किसी की शिकायत नहीं करना चाहिए । शाम को जल्दी भोजन करना और भोजन करके बज्र आसन में बैठना चाहिए । सोने से पहले गुनगुने दूध का सेवन करना चाहिए । अपने आसपास अपने परिवेश अपने घर में पूरी साफ – सफाई रखना चाहिए । रोज स्नान करना चाहिए , दांतो की सफाई करनी चाहिए, बालों में कंघी करनी चाहिए , नाखून काटना चाहिए और अपने वस्त्र साफ रखने चाहिए उसको अच्छी तरह से धूप दिखाना चाहिए ।
आपस में सहयोग की भावना रखनी चाहिए, भाईचारे की भावना रखनी चाहिए । लालच , ईर्ष्या , द्वेष ,छल , क्रोध , दंभ पाखंड , झूठ , अन्याय , घमंड , भेदभाव , बदले की भावना इन सब के लिए बच्चों को प्रेरित और जो बच्चे ऐसा करते हैं उनके लिए ताली बजावाना और उस दिन के लिए कक्षा का सर्वश्रेष्ठ छात्र /छात्रा को चुनना ।
ये सब क्रियान्वयन करने से मेरे विद्यालय में स्वस्थ आदतों का विकास हुआ है ।
मेरा छठवां सुधार करने का प्रयास छात्र-छात्राओं का विद्यालय में ठहराव को लेकर था । जिसमें छात्र-छात्राएं मध्यान भोजन करने के पश्चात स्कूल से भागने का प्रयास करते थे । इसके लिए हमने लास्ट पीरियड में छात्र-छात्राओं को खेलने का अवसर प्रदान किया । जिसमें रस्सी कूद , कैरम बोर्ड , बैडमिंटन , शतरंज , आदि शामिल थे । इसके अलावा पूरे स्कूल के बच्चों को समूह खेल जैसे -नेता की पहचान , हरा समंदर गोपी चंदर , आंख मिचोली आदि खेलों का आयोजन करवाया
इसके अलावा जो बच्चे विद्यालय से मध्यान भोजन के बाद से भाग जाते थे उनके अभिभावकों को फोन करके बताना और उन्हें वापस भिजवाने के लिए कहना । उनके घर रसोईया को भेजकर बच्चों को बुलवाना ।
यह सब क्रियाकलाप करने से हमारे विद्यालय में बच्चों का ठहराव होने लगा ।
और अन्त में मेरी स्वरचित पंक्तियां-
विद्यालय में पेड़ों का छांव होना चाहिए
शिक्षण कार्य करना स्वभाव होना चाहिए
विद्यालय घर आंगन की तरह लगने लगेगा
बस एक- एक बच्चे से लगाव होना चाहिए।
धन्यवाद
नूर फातिमा खातून
प्राथमिक विद्यालय हाता नंबर 3
ब्लाक-तमकुही
जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश