स्कूल के बाद का जीवन
स्कूल के बाद का जीवन काफ़ी संघर्षों से भरा होता है बच्चें का मुख्य संघर्ष का यहीं समय हैं। जिसमें निम्न परेशानियां आती हैं जैसे -दोस्तों का आपसे बात ना करना मतलब अकेलापन कई को इसका पता नि होता की आज खाना मिलेगा या नहीं स्कूल के बाद या तो बच्चें किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं या किसी भी कॉलेज में प्रवेश लेकर पार्ट टाइम जॉब करते हैं ताकि अपना जेब खर्च चला सकें और इसी समय कई ध्यान भटकाने वाले तत्व भी आस पास होते हैं जैसे प्यार में पड़ जाना, बुरी संगत मतलब गुटखा, दारू, सिगरेट ये सब दिक्कत आती हैं। इस समय में अगर प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुए तो ठीक वरना बच्चें का आत्मविश्वास चकना चूर हो जाता हैं और जितना दुनियां उसको कमजोर नहीं समझती उतना वह खुद को कमज़ोर समझने लगता हैं। बच्चें को स्कूल के बाद सम्मान की भी आस रहती हैं कि मुझे सम्मान मिले पर ऐसा हो नहीं पाता। अगर किसी की नौकरी करो तो उसकी डॉट भी सुननी पड़ती हैं। लेकिन जो ईमानदारी से मेहनत करता हैं वह ही मंजिल पाता है। लेकिन इसमें सोचने मात्र से कुछ नहीं होता छोटे छोटे एक्शन लेना ज़रूरी होता हैं क्योंकि इसके लिए उदाहरण हैं की खुजली आपको हुई हैं तो खुजाना आपको पड़ेगा उसी तरह सपना आपका था तो मेहनत आपको ही करना पड़ेगा और इसमें माता पिता का साथ बहुत ज़रूरी है। क्योंकि भले ही माता पिता भविष्य का कुछ नहीं जानते की पढ़ाई कैसी हैं इसलिए वे शायद आपके लिए उनका भविष्य का फैसला गलत हो सकता है लेकिन इसमें उनकी नियत हमेशा सही रहती हैं। और जिंदगी में आपका अच्छा सोचने वाले माता पिता ही होते हैं और हमेशा यही चाहते हैं की मेरा बेटा मुझसे बड़ा बने आप अगर बड़ा करेंगे तो आपसे ज्यादा माता पिता को खुशी होगी। यही समय संघर्ष का है स्कूल के बाद वाला जहां संघर्ष जरूरी हैं तभी भविष्य में आप आनंद लेते समय बताएंगे की हमने इतना संघर्ष किया था ऐसे इस समय बच्चों के पास दो विकल्प होते हैं की या तो अभी 2-3साल मेहनत कर जिंदगी भर आराम करो या अभी आराम कर जिंदगी भर मेहनत करो इसमें मर्जी आपकी होती हैं की क्या करना हैं।।