*जश्न अपना और पराया*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
जिंदगी भी कुछ पहाड़ की तरह होती हैं।
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
आप अपनी नज़र फेर ले ,मुझे गम नहीं ना मलाल है !
कभी ग़म से कभी खुशी से मालामाल है
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
कविता- "हम न तो कभी हमसफ़र थे"
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें
चंद्र प्रकाश द्वय:ः मधुर यादें
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा
तुम सबने बड़े-बड़े सपने देखे थे, धूमिल हो गए न ... कभी कभी म
बात जुबां से अब कौन निकाले
अपना पथ स्वयं बनाओ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
वादे निभाने की हिम्मत नहीं है यहां हर किसी में,