कौन कहता है कि "घुटनों में अक़्ल नहीं होती।"
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
किसने कहा पराई होती है बेटियां
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
जीवन के सच तो शब्द होते हैं।
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते कहीं वे और है
.....हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु