उनसे मुहब्बत करने से पहले ये देखना ज़रूर,
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
DR Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
तुम्हारा जिक्र
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब एक ही वंश के हैं फिर भी सब की
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।