सोहर
आजु हमरे बेटी के छठियार के अवसर पर हमार लिखल सोहर——
अँगना में बेइली फूलइली, चमेली फफनइली नू हो।
ऐ बबुनी—-
महके ला घरवा दुअरवा, अँगन उठे सोहर हो।
सगरो सपनवा पुराईल, मन हरसाईल नू हो,
ए बबुनी—–
बिटिया जनमलू अँगनवा, अँगन उठे सोहर हो।
अन धन महरिन नउनिया, त माँगे ली नथुनियाँ नू हो,
ए बबुनी——–
बुआ मांगे सोना के सिकडीया, अँगन उठे सोहर हो।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य