सोना बन…, रे आलू..!
मत बन तू,
अब बुद्धू..!
सीधा कर,
बस उल्लू..!
एम कहूँ,
या डब्ल्यू.!
बन बैठा,
दल बदलू.!
सोना बन,
रे आलू..!
जादूगर,
है पप्पू..!
तांडव कर,
बिन डमरू..!
प्याली में,
रख काजू..!
चल उठ अब,
ला दारू..!
रिश्वत की,
आती बू..!
चारों और,
थू थू थू..!
पंकज “परिंदा”.