सोच
सोच
अच्छी सोच अमीरी लाती।
गंदी सोच गरीब बनाती।।
सोच सोच का फर्क यहाँ है।
कहीं स्वर्ग अरु नर्क यहाँ है।।
सुन्दर मानव यदि बनना है।
उत्तम सोच सहज चुनना है।।
दूषित चिंतन दुख का कारण।
पावन मन्थन शुभ पारायण।।
प्रिय चिंतन से मित्र बनोगे।
दुखी मनुज का कष्ट हरोगे।।
रखो सोच उत्तम हे मानव!
घटिया सोच बनाती दानव।।
जो कुछ भी नहिं कर पाता है।
पर उन्नति पर जल जाता है।।
हो जाता है राख निरंतर।
बड़ा अभागा कला अक्षर।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।