सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
तो मैं पाता हूँ अजनबी तुझको
बुतपरस्ती है इश्क़ में जाइज़
पूजता हूँ कभी-कभी तुझको
—महावीर उत्तरांचली
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
तो मैं पाता हूँ अजनबी तुझको
बुतपरस्ती है इश्क़ में जाइज़
पूजता हूँ कभी-कभी तुझको
—महावीर उत्तरांचली