सैनिक की इच्छा
सैनिक की इच्छा
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फर्ज मिट्टी का सकूँ निभा
कोई तरकीब बता देना ;
चुका जो गर न सका अहसान
भले कर्जदार लिख देना ।।
लड़ कर सरहद पर जो मैं
अगर शहीद हो जाऊँ ;
होगी खुश किस्मत तब मेरी
मुझे वफादार लिख देना ।।
रहें इंसान केवल देश में
हैवानों की जगह न हो ;
बना सकूँ जब ऐसा भारत
कुछ वजनदार लिख देना ।।
गूंज उठे मंत्र वीरता का
दुश्मनों को भगा डालूँ ;
शौर्य बने छाप अमिट मेरी
ऐसा यलगार लिख देना ।।
जो लिखूँ लहू से इक गजल
मैं गज़लकार बन जाऊँ ;
लग जाए भाल पर जब तिलक
तब तू फ़नकार लिख देना ।।
□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
साहित्य प्रसार केन्द्र साँकरा
जिला – रायगढ़ (छत्तीसगढ़)