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9 Jun 2020 · 1 min read

सेवा

सेवा दुखियों की करो, सबसे अच्छा योग।
तन मन धन अर्पित करो, खुद को रखो निरोग।
खुद को रखो निरोग, लोभ से दूरी रखना।
स्वार्थ न फटके पास, नज़र में छूरी रखना।
कह संजय कविराय, सुलभ उनको हर मेवा।
प्रेमभाव से जो निस्वार्थ करते हैं सेवा।।

संजय नारायण

7 Likes · 2 Comments · 243 Views
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