सेवा निवृत काल
जीवन काल रहे सुखी ra, दूर हटे सब भार |
दुष्कर पथ के पथिक अब,भूलो पथ की मार |
भूलो पथ की मार, किया है निर्मल सेवा |
स्वस्थ सुखी संपन्न, मिले पत्नी से मेवा |
कहें प्रेम कविराय, करें प्रेमी आलिंगन |
हंसी ठिठोली करें,जियें गौरव मय जीवन |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम