सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा के बदले में मेवा बिन माँगे मिल जाती है
सेवा करें पिता-माता की, असहायों, लाचारों की
मिटती है भव-बाधा सारी, ऋद्धि-सिद्धि घर आती है
– महेश चन्द्र त्रिपाठी
सेवा की महिमा कवियों की वाणी रहती गाती है
सेवा के बदले में मेवा बिन माँगे मिल जाती है
सेवा करें पिता-माता की, असहायों, लाचारों की
मिटती है भव-बाधा सारी, ऋद्धि-सिद्धि घर आती है
– महेश चन्द्र त्रिपाठी