सेल चुनावी हऽ
सब चोर हवें साथे, बस मेल चुनावी हऽ।
नेता जी गइल बारन, ऊ जेल चुनावी हऽ।
अब काम सभे पाई, मिट जाई गरीबी हो,
सब मुफ्त मिले लागल, ई सेल चुनावी हऽ।
बा धर्म जरूरी जी, इंसान जरूरी ना,
बकलोल बुझालऽ तूँ, सब खेल चुनावी हऽ।
सब रोड़ बनी सुंदर, अब स्वच्छ मिली पानी,
कागज में भरे रफ्तार, ई रेल चुनावी हऽ।
महँगाई बढ़े लागल, सब ख्वाब अधूरा बा,
सौ पार गइल देखऽ, ई तेल चुनावी हऽ।
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य