Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2022 · 3 min read

सेब लोगे या घोड़ा…. ?

एक राजा था । उसने एक सर्वे कराने का निर्णय लिया, जिससे यह पता चल सके कि राज्य के लोगों की घर – गृहस्थी पति के हुक्म से चलती है या पत्नी के हुक्म से …!

उसने एक इनाम रखा कि ” जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो
उसे मनपसंद घोडा़ इनाम में मिलेगा “।

और

जिसके घर में पत्नी की चलती है
उसे एक सेब मिलेगा ।

एक के बाद एक सभी नगरवासी

सेब उठाकर ले जाने लगे ।

राजा को चिंता होने लगी कि
क्या मेरे राज्य के सभी घरों में
पत्नी का हुक्म चलता है ।

इतने में एक लम्बी लम्बी मूछों वाला ,
मोटा – तगडा़ और लाल – लाल आंखों वाला जवान आया और बोला…..
राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है । इसलिये घोडा़ मुझे दीजिए ।

राजा बहुत खुश हुये और कहा जाओ अपना मनपसंद घोड़ा ले लो.. मुझे बहुत खुशी है कि चलो कोई एक घर तो मिला जहाँ पर आदमी की चलती है ।

बड़ी बड़ी मूछों वाला वह जवान काला घोडा़ लेकर अपने घर के लिये रवाना हो गया ।

लेकिन थोड़ी ही देर में वह घोडा लेकर दरबार में फिर वापस लौट आया ।

राजा: “क्या हुआ…? वापस क्यों आ गये..??”

जवान : ” महाराज मेरी घर वाली कह रही है कि काला रंग अशुभ होता है । सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है , इसलिये आप सफेद रंग वाला घोडा लेकर आओ…

इसलिये आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दे दीजिए

राजा : अरे, घोडा़ रख …..और सेब लेकर चलता बन ।

इसी तरह रात हो गई … दरबार खाली हो गया , सभी लोग सेब लेकर चले गये ।

आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया ।

राजा : “कहो महामंत्री कैसे आना हुआ…?”

महामंत्री : ” महाराज आपने सेब और घोडा़ इनाम में रखा है , इसकी जगह अगर एक कुंतल अनाज या कुछ ग्राम सोना वगैरह रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते थे या जेवर बनवा सकते थे ।

राजा : ” मैं भी इनाम में यही रखना चाहता था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक रहेगा , इसलिये वही रखा !!

महामंत्री : ” महाराज आपके लिये सेब काट दूँ..?”

राजा को हँसी आ गई और उसने पूछा कि यह सवाल तुम दरबार में कल सुबह भी पूछ सकते थे , फिर तुम आधी रात को ही क्यों आये.. ???

महामंत्री: “महाराज मेरी धर्मपत्नी ने कहा कि अभी जाओ और अभी पूंछकर आओ , ताकि सच्ची घटना का पता तो चले ?

राजा ( बात काटकर ) : “महामंत्री जी सेब आप खुद ले लोगे या आपके घर भेज दिया जाये ?”

सीख : समाज चाहे जितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन हमारा घर स्त्री प्रधान ही है और हमेशा रहेगा ???

मुझे भी मेरी पत्नी ने कहा कि यह कहानी अभी तुरंत सभी को भेजो ?

इसलिये दोस्तो मैं सेब खाते हुये आप सबको यह कहानी भेज रहा हूँ …. ।

दोस्तो आप लोग सेब यहीं खाओगे या फिर घर ले जाओगे ।

या फिर ट्राई मारोगे कि वास्तव में आपके घर में आपकी चलती है या आपकी पत्नी की ?

ट्राई मारकर देखना चाहो तो देख लो दोस्तो , लेकिन रिजल्ट क्या आया यह मुझे जरूर बताना ???

2 Likes · 327 Views

You may also like these posts

तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
मुक्तक
मुक्तक
Rajesh Tiwari
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
ज़ब ज़ब जिंदगी समंदर मे गिरती है
शेखर सिंह
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
भारती के लाल
भारती के लाल
पं अंजू पांडेय अश्रु
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#शीर्षक- नर से नारायण |
#शीर्षक- नर से नारायण |
Pratibha Pandey
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
*हिंदी तो मेरे मन में है*
*हिंदी तो मेरे मन में है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सजल
सजल
seema sharma
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
हार से डरता क्यों हैं।
हार से डरता क्यों हैं।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
कुछ बाते वही होती...
कुछ बाते वही होती...
Manisha Wandhare
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
समर्पण
समर्पण
Sanjay ' शून्य'
निशाचार
निशाचार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
ਕੁਝ ਕਿਰਦਾਰ
Surinder blackpen
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
#दोहा
#दोहा
*प्रणय*
मुरधर
मुरधर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा इतिहास लिखोगे
मेरा इतिहास लिखोगे
Sudhir srivastava
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...