सॅंभले मानव जाति…कुण्डलिया
ईश्वर से प्रतिभा मिले, सत्संगति से ख्याति.
अहंकार उपजे स्वयं, सॅंभले मानव जाति..
सॅंभले मानव जाति, सत्य जीवन का जाने.
हो विनम्र दे स्नेह, शत्रु इसको ही माने.
अम्बरीष हों मित्र, प्रकृति प्राणी नभ तरुवर.
जुड़ें तार से तार, मिलें पल-पल में ईश्वर..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’