सृजन
जब सतरंगी सपना कोई,अक्सर मन को छल जाता है;
जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है;
जब दर्द पराया,अपना बन,अन्तर्मन को मथ देता है,
तब जन्म ग़ज़ल का होता है,या गीत कोई जग जाता है।
जब सतरंगी सपना कोई,अक्सर मन को छल जाता है;
जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है;
जब दर्द पराया,अपना बन,अन्तर्मन को मथ देता है,
तब जन्म ग़ज़ल का होता है,या गीत कोई जग जाता है।