Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2022 · 5 min read

सृजन ?️rymoulik

?सृजन ?

दर्द सीने से कोई तुम्हारा भी तों लगता होगा..!
तुम से मिलने को ख्वाबों में कोई तों आता होगा..!!
————-
गर ज़िन्दगी इंसा को समझ आ गई तों अकेले में भी मेला हैं..!
और ना समझ आए तों मेले में भी अकेला हैं..!!
————-
अब इन गुनाहों के शिकवे भी करूं तों मैं किससे करू…!!
कोई हो तों ऐसा जिससे मैं कुछ ना कुछ शिकायतें तों करूं…!!!
आए थे लोग के दे गये हैं ना कटने का ये दर्द ए ज़माना…!!
किसी की चाहतों का भी बहाना करूं तों किससे करूं..!!!
——————
कोई साथ हो या ना हो तों भी अब गम नहीं..!
अब तों यही सोचते हैं
दुनिया में ख़ुद से बढ़कर कोई हमदम नहीं..!!
—————–
मेरे घर से उठता हुआ धुआं तों देखते हैं बहुत से लोग..!!
क्या हाल हैं उनके घर का वो नहीं देखते हैं लोग …!!!
———–
वो मिरि दिललगी से थोड़े ही मुझसे दिल लगाएंगे…!!
वो जिससे भी दिल लगाएंगे उसके लिए मर जाएंगे…!!!
————–
अब तों सिर्फ हलचल भर रही दीवानों की…!!
अब कौन खबर रखता हैं यहां विरानों की…!!!
टूट गई ईमारतें भी दिल ए अरमानों की..!!
रह गए यादें मजबूत मकबरे निशानियों की..!!!
————-
देखिए ये ज़माना भी कितना रंग बदलने लगा
हर इंसा ए मन ए औज़ार संग संग रखने लगा..!!!
———
इतने सारे लोगों के होते हुए भी जब खामोशियाँ की विरानगी होती हैं
ऐसे लोगों देख कर मुझे भी हैरानी होती हैं….!!!
————
ये महफ़िले भी गुफ़्तगू की अब फिजूल हैं
चंद बिखरे हुए अलफ़ाज़ों की रह गई धूल हैं
ढूढ़ती हैं जो ये निगाहें भी अपनों के से चेहरे
खो गई खुशबुए भी जो इस अब चमन की
अब फूल भी तों ना रहा चमन में फूल हैं
गलफ्त ए गुफ़्तगू भी जो अब करना फिजूल हैं..!!
———
इस इश्क़ में ना तू इतना गुनाह लिख..!!
गर हो जफा दर्द की तों दवा लिख..!!!
———–
जज़्ज़बातों के अल्फाज़ गम ए एहसास बताते हैं .. !!
दर्द में सिमटा हैं हर शख्स ये हालात ए अल्फाज़ बताते हैं …!!!
———–
महकी महकी सी हुई तिरि गुलाब सी सूरत..!!
वो बस गया मिरी आँखों में ख़्वाब की सूरत..!!!
————
दर्द ए हूक सी उठती रही जो तिरि वेबफाई में..!
मिरा दर्द जो महके हैं तिरि वफाई ए तन्हाई में..!!
———–
तसव्वुर में क्या है दिखायें किसको
खामोश लब और बेपनाह बेचैनियां
यहां हर शख्स परेशा है बतायें किसको..!!!
————-
बिंदास मुस्कुराइये ज़नाब क्या ग़म है…!
यहां ज़िन्दगी में टेंशन किसको कम है..!!
अच्छा हो या बुरा ये तो केवल भ्रम है…!
ज़िन्दगी का नाम ही कभी ख़ुशी तो कभी गम है..!!
————–
न कोई शिकवा हैं
न कोई शिकायत हैं
और ना ही कोई गम हैं
फिर भी न जाने क्यूं
ये मिरि आंखे नम हैं..
————-
अकेले तुम ही नहीं हो
यादों से जूझने वाले..!
हम भी हैं तुम्हारी तरह
तन्हाइयों से जूझने वाले..!!
—————
ये तिरे दिल का मिरे दिल का ये रिस्ता भी कितना अजीब हैं..!
दूरियां लाख हो फिर भी तिरा दिल मिरा दिल एक दूजे के कितना करीब हैं..!!
—————-
ये धड़कने भी सिर्फ तुम्हारी ही
चाहत किया करती हैं..!!
निगाहें भी हैं गुमसुम सी
जो इंतज़ार सिर्फ तुम्हारा ही किया करती हैं..!!
————-
एक महक जो गुम हुई थी
आज फिर लौटी हैं मिरि फिज़ाओ में..!

तुम यूं ही महकती रहना
मिरि ज़िन्दगी की आस की अशाओं में..!!
—————
आज भी वो भूले हुए हमें
अक्सर याद आ जाया करते हैं..!
क्योंकि हम उन्हें तहे दिल से
अपनी यादों में बसया करते हैं..!!
—————–
तूफा-ए-किनारा देखने वालें
अक्सर नसीहते ही दिया करते हैं..!

जो तैरे हैं तूफा के समंदर में
वो ख़ामोशी से जिया करते हैं….!!
—————–
वो रेहमत हैं खुदा की जो हर दिन नया नसीब हैं होता…!
हैं कदमों में तिरि मंज़िल फिर भी किस्मत को तू क्यूं हैं रोता..!!
—————-
ये जिस्म, लिवास
और ज़िन्दगी जीने का
सलीका तुम्हारा हैं..!
देखने वालों की नज़रों
के नज़रिये पर बस
नहीं तुम्हारा हैं…!!
——————
तुम पल भर की जफ़ा के लिए भी नहीं हो कायम..!
तो हम ज़िन्दगी भर की वफ़ा भी क्यों तुम से करें..!!
——————
ना तू उम्मीद हैं और ना हैं तू हकीकत
फिर भी तिरे आने का रोग ए इंतजार हैं…!!
——————
अब ज़िक्र कहां होता हैं आदमी की शराफत का
जो सारा कुसूर तो इन आंखों का हैं…!!
——————
इंसा भी कितने अदब ए रंग बदलता हैं..!
फिर भी संग इंसा ही इंसा के चलता हैं..!!
——————
यादों में उसकी इतना खो जाता हूं
के मैं बस तन्हा तन्हा हो जाता हूं
——————
इन खुली खुली फ़िज़ाओ में वो जो तिरि खुशबू आती हैं..!
गर करूं दिल ए गहराईयों से महसूस तो नज़र तू आती हैं..!!
—————–
हर आदमी, आदमी में तलासता हैं यहां बड़ा आदमी..!
मिल गया तो भला और ना मिला तो बुरा हैं आदमी..!!
—————–
इस आशिकी ए मोहब्बत में दिल का खेल हैं…!!
आदमी खुद खेलता हैं अपने दिल का खेल हैं…!!!
——————
चेहरा दिखा देता हैं जो तिरि ज़िन्दगी का रुतवा
कदमों की चाल से तिरि हम मंज़िलें पहचान लेते हैं…ll
—————–
तिरि याद की भी ये कैसी तासीर हैं
तिरि याद ए बगैर सब भुलाये बैठा हूं…!!
——————
दिल में हैं हसरतें और आरजू ए गुफ़्तगू में हैं..!
रब ही जाने के ये लोग भी किस जूनून में हैं…!!
——————-
कई विरानो को मैं आवाद करता रहा
फिर भी ज़िन्दगी मिरि उजड़ी ही रही…!!
——————
हमें हर वफ़ा में जिल्लत-ए-जफ़ा ही तो मिली हैं
कर के देखी हर वफ़ा सजा ही सजा तो मिली हैं
——————-
किस कदर बस के आंखों में दिल में बस कर चलें गए…!
खुशनुमा ज़िन्दगी के ख्वाब इश्क़ में जगा कर चलें गए…!!
——————-
माना की हर तस्वीर में रूह नहीं होती…!
बस रूहानियत सच्ची दिललगी में हैं होती..!!
——————
कागज़ पे जो हर दम शेर-ए-ख्वाहिशे लिखते हैं…!
ना मुफलिशी और ना इश्क़-ए-गुजारिशे लिखते हैं..!!
——————-
वो लोग कभी भी बेहतर हुनर मंद नहीं हों सकते हैं…!
जो मतलब से जुड़ कर हुनर सीखने की चाह रखते हैं..!!
——————
इन मतलबीयों के शहर में भी किस किस का भला करूं..!
के ज़माने का भला करूं के अपना खुद का भला करूं..!!
——————-
उफ्फ और कितनी धीरे धीरे से ढलती हैं ये रात
हौले हौले रात भर कानों में घोलती हैं तिरि बात

परत दर परत और कितनी धुंधली होंगी ये रात
चुपके चुपके धीरे धीरे तन्हाईयां घोलती ये रात

बेबसी बस यहीं हैं दिल ही दिल में रह गई बात
पराई सी तेरी ही तरह फरेबी सी लगें हैं ये रात

उफ्फ और कितनी…..
——————–
आज फिर अलफ़ाज मिरे आईने से टकरा गए
नज़र से नज़र के मिलते ही जो वो कतरा गए..!!
———————
वो निगाहे जो हैं कुछ कुछ बोलती हैं
वो लफ़्ज़ जुबां से लबो पे टटोलती हैं..!!

हैं मुस्कुराहट चेहरे पर इक शिकायत सी
खामोशियां उसकी रंग फ़िज़ा में घोलती हैं..!!

वो ना कहें जुबां से जो लफ़्ज़ ओ लफ़्ज़
जो सांसों की धड़कने भी फ़िज़ा बोलती हैं..!!

ना वो कुछ कहें ना कुछ कहें जो हम भी
बात करने को बात मिरि भी बहाने टटोलती हैं…!!
———————-
कुछ अजब ही दिल वाले होते हैं..!
जो सजा-ए-तन्हाईयां दे जाते हैं…!!
———————-
ज़ख्म इतने हैं के दर्द भी कम नहीं..!
जुनू आज भी हैं जख्मों का गम नहीं…!!
———————–
जो देख रहा हूं वो कहीं ख्वाब ना हों..!
और जो सुन रहा हूं वो कहीं धोखा ना हों..!!
————————-
ये दुनियां, समाज, घर और दफ्तर एक मशीन हैं
और हम सब इस विशाल मशीन के कलपुर्जे हैं…!!
——————–

क्रमशः –

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Comments · 419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अलसाई सी तुम
अलसाई सी तुम
Awadhesh Singh
* सुहाती धूप *
* सुहाती धूप *
surenderpal vaidya
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
Keshav kishor Kumar
"खेल-खिलाड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
रोबोटयुगीन मनुष्य
रोबोटयुगीन मनुष्य
SURYA PRAKASH SHARMA
बदलाव
बदलाव
Shyam Sundar Subramanian
देसी घी से टपकते
देसी घी से टपकते
Seema gupta,Alwar
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
Jogendar singh
3249.*पूर्णिका*
3249.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
©️ दामिनी नारायण सिंह
😊कामना😊
😊कामना😊
*प्रणय*
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
Sunil Maheshwari
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Topnhacai
यह लड़ाई है
यह लड़ाई है
Sonam Puneet Dubey
I Fall In Love
I Fall In Love
Vedha Singh
बेज़ार होकर चले थे
बेज़ार होकर चले थे
Chitra Bisht
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
Rj Anand Prajapati
क्या ख़रीदोगे
क्या ख़रीदोगे
पूर्वार्थ
लड़ो लड़ाई दीन की
लड़ो लड़ाई दीन की
विनोद सिल्ला
कभी सोचा हमने !
कभी सोचा हमने !
Dr. Upasana Pandey
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
सत्य
सत्य
लक्ष्मी सिंह
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
अपनी हद में ही रहो तो बेहतर है मन मेरे
VINOD CHAUHAN
💐तेरे मेरे सन्देश-3💐
💐तेरे मेरे सन्देश-3💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
```
```
goutam shaw
राखी
राखी
Vandana Namdev
नए सफर पर चलते है।
नए सफर पर चलते है।
Taj Mohammad
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...