सूक्तियाँ
आत्मसम्मानविहीन संबंध समझौता है ,
परस्पर समर्पणभावविहीन प्रेम अनुबंध है ,
आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प एवं कर्मनिष्ठता ,
सफलता के सोपान है ,
लक्ष्यकेंद्रित शौर्य , आत्मबलिदानभाव ,
शूरवीरता की पहचान है ,
क्रियाविहीन व्यक्त संवेदनाभाव मात्र छलावा है ,
कर्मविहीन स्वप्निलआशाऐं एवं अभिलाषाऐं मात्र भुलावा है ,
अनुपालन ना कर मात्र उपदेशक बनना छद्म है ,
संवेदनहीन उदासीनता मानवता के प्रति अधर्म है ,
न्याय निष्पादन प्रक्रिया में विलंब अन्याय है ,
अभिमान प्रज्ञाशक्ति का शत्रु है ,
डर मन की एक काल्पनिक रचना है; जो वास्तविकता एवं आंतरिक तथ्यों से परे है ,
आत्मसंतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है ,
असहायभाव से बड़ा कोई दुःख नहीं है ,