महफ़िल मे किसी ने नाम लिया वर्ल्ड कप का,
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पार्टी-साटी का यह युग है...
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
या खुदा तू ही बता, कुछ शख़्स क्यों पैदा किये।
#लापरवाही और सजगता का महत्व
ना तुझ में है, ना मुझ में है