सुसंगति – दोहे
दोहे
मोल तोलकर बोलिये, वचन के न हो पाँव !
कोइ कथन बने औषधि, कोइ दे घने घाव !!………..(१)
दोस्त ऐसा खोजिये, बुरे समय हो साथ !
सुख में तो बहुरे मिले, संकट न आवे पास !!……..(२)
संगती ऐसी राखिये, जित मिले सुविचार !
झूठा सारा जग भया, सुसंगति तारे पार !! ………(३)
विद्या मन से पाइये, जा में जग समाये !
जोइ या में डूब गयो, सो सफल हो जाये !!………..(४)
करम ऐसे तुम कीजे, मन को ठंड मिल जाय !
रात चैन की नींद मिले, दिन सुख से कट जाय !! …….(५)
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—::–डी. के. निवातिया —::–