सुलेख
सुलेख (दुर्मिल सवैया )
बनता जब लेख सुलेख सदा अति भव्य महान विचार जगे।
मनमोहक भावुकता दिखती मन में अति हर्ष उमंग जगे।
शुभ दृश्य दिखे मधु मादक -सा प्रिय कर्म स्वभाव जगे मन में।
यह सुन्दर लेखन की महिमा शिव राग असीम पगे तन में।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
यह दुर्मिल सवैया सुलेख (सुंदर लेखन) की महिमा को दर्शाता है। यह कहता है कि सुलेख तब बनता है जब लेख में भव्य और महान विचार हों, जो मनमोहक भावुकता को जगाते हैं और मन में हर्ष और उमंग को बढ़ाते हैं।
सुलेख में शुभ दृश्य दिखते हैं, जो मधु मादक से लगते हैं, और यह प्रिय कर्म और स्वभाव को जगाता है। यह सुंदर लेखन की महिमा है, जो शिव राग में असीम पगता है और तन में बसता है।
अब मैं इसे संस्कृत और अंग्रेजी में अनुवाद करूँगा:
संस्कृत में:
सुलेखः भवति यदा लेखे महान् विचाराः प्रजागरण्ति।
मनमोहकाः भावाः प्रजागरण्ति हर्ष उमंगस्य जगति।
अंग्रेजी में:
Beautiful writing happens when great ideas awaken in the writing.
Enchanting emotions awaken, and joy and enthusiasm increase in the mind.
अंतरराष्ट्रीय काव्य अनुवाद: