Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2024 · 1 min read

सुलेख

सुलेख (दुर्मिल सवैया )

बनता जब लेख सुलेख सदा अति भव्य महान विचार जगे।
मनमोहक भावुकता दिखती मन में अति हर्ष उमंग जगे।
शुभ दृश्य दिखे मधु मादक -सा प्रिय कर्म स्वभाव जगे मन में।
यह सुन्दर लेखन की महिमा शिव राग असीम पगे तन में।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

यह दुर्मिल सवैया सुलेख (सुंदर लेखन) की महिमा को दर्शाता है। यह कहता है कि सुलेख तब बनता है जब लेख में भव्य और महान विचार हों, जो मनमोहक भावुकता को जगाते हैं और मन में हर्ष और उमंग को बढ़ाते हैं।

सुलेख में शुभ दृश्य दिखते हैं, जो मधु मादक से लगते हैं, और यह प्रिय कर्म और स्वभाव को जगाता है। यह सुंदर लेखन की महिमा है, जो शिव राग में असीम पगता है और तन में बसता है।

अब मैं इसे संस्कृत और अंग्रेजी में अनुवाद करूँगा:

संस्कृत में:
सुलेखः भवति यदा लेखे महान् विचाराः प्रजागरण्ति।
मनमोहकाः भावाः प्रजागरण्ति हर्ष उमंगस्य जगति।

अंग्रेजी में:
Beautiful writing happens when great ideas awaken in the writing.
Enchanting emotions awaken, and joy and enthusiasm increase in the mind.

अंतरराष्ट्रीय काव्य अनुवाद:

1 Like · 23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
प्रेम पगडंडी कंटीली फिर भी जीवन कलरव है।
Neelam Sharma
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
देखिए खूबसूरत हुई भोर है।
surenderpal vaidya
पति-पत्नी के मध्य क्यों ,
पति-पत्नी के मध्य क्यों ,
sushil sarna
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
जय श्री गणेशा
जय श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मुक्तक -*
मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।
Neelofar Khan
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
मुक्ममल हो नहीं पाईं
मुक्ममल हो नहीं पाईं
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम, अनंत है
प्रेम, अनंत है
हिमांशु Kulshrestha
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
चलो आज खुद को आजमाते हैं
चलो आज खुद को आजमाते हैं
कवि दीपक बवेजा
আগামীকালের স্ত্রী
আগামীকালের স্ত্রী
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
खुद के अरमान ,
खुद के अरमान ,
Buddha Prakash
छोटी छोटी चीजें देख कर
छोटी छोटी चीजें देख कर
Dheerja Sharma
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
प्रेमी से बिछोह का अर्थ ये नहीं होता कि,उससे जो प्रेम हैं
पूर्वार्थ
मेहनत करो और खुश रहो
मेहनत करो और खुश रहो
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक :मैंने हर मंज़र देखा है
शीर्षक :मैंने हर मंज़र देखा है
Harminder Kaur
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
Ajit Kumar "Karn"
रात  जागती  है रात  भर।
रात जागती है रात भर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पर्वत के जैसी हो गई है पीर  आदमी की
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
Manju sagar
यह दुनिया सिर्फ उनका हाल-चाल पूछती है, जिनके हालात ठीक है, त
यह दुनिया सिर्फ उनका हाल-चाल पूछती है, जिनके हालात ठीक है, त
Ranjeet kumar patre
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
🙅न्यूज़ ऑफ द वीक🙅
🙅न्यूज़ ऑफ द वीक🙅
*प्रणय प्रभात*
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Loading...