सुलग रही है तू
बेशक तेरे लबों पर कोई बद्दुआ नहीं
लग रहा सभी को कि कुछ हुआ नहीं
मेरा दिल जानता है.. सुलग रही है तू
यूँ ही फिजाओं में फैला धुँआ नहीं ..!
– हरवंश “हृदय”
बेशक तेरे लबों पर कोई बद्दुआ नहीं
लग रहा सभी को कि कुछ हुआ नहीं
मेरा दिल जानता है.. सुलग रही है तू
यूँ ही फिजाओं में फैला धुँआ नहीं ..!
– हरवंश “हृदय”