सुर तेरा मेरा
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
आँख से देखा नहीं
कान से सुना नहीं
जुड़ मगर कैसे गया
ये तो मुझको पता नहीं
एक रिश्ता इंसानियत का
एक मनुष्य से समझौता हुआ
अजी प्रेम प्यार छोड़िए
ये तो उस से अधिकाधिक हुआ
नयन नीर बहने लगा
भावना तिरोहित हुई
एक संज्ञा एक विचार व्यक्त फिर होने लगा।
आँख से देखा नहीं
कान से सुना नहीं
जुड़ मगर कैसे गया
ये तो मुझको पता नहीं
एक रिश्ता इंसानियत का
एक मनुष्य से समझौता हुआ
अजी प्रेम प्यार छोड़िए
ये तो उस से अधिकाधिक हुआ
मैं तो मात्र नाम को वो तो बस मन की व्यथा
ये सभी कुछ खो गया ये सभी कुछ खो गया।
ला ल ला ल ला ल्ला हे हे हे हा हा हा
मम सा गा सा पा पा नि नि ध हा हा हा
👐🎗️👐