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2 Sep 2023 · 1 min read

सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए

सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
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सुरमई अंखियाँ नशा बढ़ाए।
चंचल चितवन आग लगाए।

छाया यौवन रूप गजब का,
भर भर गगरी छलकत जाए।

कंचन काया रूई सी नाजुक,
शोभन शोभित रूप सजाए।

अधर कटीले अर्द्ध खुले से,
छवि मनोहर नींद से जगाए।

कर पग मेंहदी लाल रची है,
प्यारी दुल्हन तन मन भाए।

सुर्ख कपोल लाल लहूमयी,
सिंदूरी रुखसार हिय जलाए।

कर कंकन् चूड़ा पग पायल,
नाक मे नथनी गौरी मुस्काए।

चाल चतुर है मृगनयनी सी,
कोमल कमर सर्प बल खाए।

साँवली सलोनी सी मनसीरत,
मृत बदन मे हरकत सी आए।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

213 Views

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