सुभाष चंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस
भूले न कभी राष्ट्र, था ऐसा नाम एक अप्रतिम!
सुभाष चंद्र बोस रहे, मां के लाल अप्रतिम!
स्वतंत्रता इतिहास है, अधूरा बिना सुभाष के भयाक्रांत थे फिरंगी, थे नेताजी ऐसे अप्रतिम!
आजाद हिंद फौज, आजादी के लिए प्रबल
विदेश में बनाई सेना, सेनापति थे अप्रतिम!
देशहित जिसे मिला था, सहयोग बेशुमार
क्या देश, क्या विदेश, प्रेम मिला अप्रतिम!
स्वर्ण, रजत, पैसे, आभूषण भी मिले दान में
जनता में भरे जोश जो, नेता वे रहे अप्रतिम!
“तुम मुझे खून दो, मैं दूंगा तुम्हें आजादी”
कहे जो महावीर, वह साहसी थे अप्रतिम!
नहीं भागते फिरंगी, घबरा करके कभी ऐसे
संग्राम की भी शक्ति, लाल में थी अप्रतिम!
फिरंगियों को जब-तब, उस पार जो धकेलतीं
महिला ब्रिगेड भी, कमाल की थी अप्रतिम!
न एटम बम जो गिराता, जापान पर अमरीका
महानाश से घबराया, जो जापान न दहलता,
होती न चाल धीमी, आजाद हिंद फौज की
होते आजाद पहले, मंजर वो होता अप्रतिम !
अंत जिसका बना रहस्य, भूलेगा नहीं भारत
सुभाष चंद्र बोस को, देशभक्त महान अप्रतिम!
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–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।