सुबह का दीदार
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कुछ इंसान मौसम से भी तेज रंग बदलते हैं जिनके लिए दर्द -पीड़ा -जज्बात -अहसास –मजबूरी -जरुरत और आंसुओं का कोई मोल नहीं होता,विश्वास और वायदे तोड़ना जिनकी दिनचर्या का हिस्सा है ,फिर भी उनका आत्मविश्वास देखिये की उनका एक ही जवाब होता है आप विश्वास तो करके देखिये…,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस जीवन का एक ही सत्य है की एक नाम -एक व्यक्ति पल भर में एक लाश -एक शरीर -एक तस्वीर बन कर रह जाता है तो फिर क्यों झूठ सच -मारा मारी -छीना झपटी -ऊंच नीच -भेदभाव …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब संबंधों में खटास आती है -दूरियां बढ़ती जाती हैं -भरोसा टूटता जाता है -गलतफहमियां हर कोने में घर बसा लेती हैं तो फिर व्यक्ति को वो भी सुनाई देता है जो कभी कहा ही नहीं गया और वो भी दिखाई देता है जो हुआ ही नहीं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जरुरी नहीं की आपने जो देखा हो वो ही सत्य हो -कोई जरूरी नहीं की आपने जो सुना हो वही पूर्ण सच्चाई हो ,जब इंसान के ऊपर नकारात्मकता हावी होती है तो उसको वही दिखाई और सुनाई देता है जैसा की वो स्वयं दूसरों के लिए महसूस करता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की हम रोज तेरी मेरी -झूठ -स्वार्थ -राजनीती के खेल में उलझे रहते हैं बिना ये सोचे समझे की पता नहीं सुबह का दीदार होगा भी की नहीं …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान