सुप्रभात प्रिये!
शीर्षक – सुप्रभात प्रिये! -३
विधा – गीत
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. – रघुनाथगढ़, सीकर,राज.
पिन 332027
मो. 9001321438
सुप्रभात प्रिये!
क्यों जायें मधुशाला पीने हाला
छलक रहे चषक दो नयन प्रिये!
मधुर हाला का क्या काम यहाँ
जब डूबा रस प्रेम हाला प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!
मधुर हाला छलकाती जाना
इन मतवाली आँखों से प्रिये!
सुन! भरी पड़ी है मधुर हाला
इन आँखों की प्याली में प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!
इन फिरोजी अधरों से तुम
छू लेना नित्य साँसों को प्रिये!
छा जायेगी मस्त मदहोशी
जीवन में तान निराली प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!
तेरे नयनों की मस्ती में डूबा
मेरा पूरा जीवन-संसार प्रिये!
खोल पलक तू फैले आभा
जीवनसंगिनी! तू जाग प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!