सुप्रभात प्रिये! – २
शीर्षक – सुप्रभात प्रिये! -२
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. – रघुनाथगढ़, सीकर,राज.
पिन 332027
मो. 9001321438
सुप्रभात प्रिये!
उनींदी में अलसाई आँखें
मस्ती देती भर भोर नभ प्रिये!
भोली कजरारी टिमटिम आँखें
दिखते डूबते भोर नभ तारे प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!
चंद्रवदन घिरा व्याल से केशों से
साँस-समीर उड़ा ले आती प्रिये!
घनघोर घटा सी छा जाती फिर
फिर आभा फूट पड़ी घटा पार प्रियें!
सुप्रभात प्रिये!
नेत्र मादकता के मधुर झरने से
वदन रूप सागर अथाह अपार प्रियें!
डूब दैव हमारा तैरेगा हर बार
ओ करूणामयी मूर्ति, तू जाग प्रिये!
सुप्रभात प्रिये!