*सुप्रभातम*
#चार_में_सार-
■ जीवन का लेखा-जोखा।
[प्रणय प्रभात]
“अटकन-बटकन, दही चटोकन करते-करते बड़े हुए,
पइयां-पइयां चलते-चलते अपने पैरों खड़े हुए।
पग-पग अटके, डग-डग भटके तब जीवन का सार मिला,
बेमतलब में उमर गंवाई, मतलब का संसार मिला।।”
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
-सम्पादक-
(न्यूज़&व्यूज़)
श्योपुर (मप्र)