सुन री पवन।
सुन री पवन,
जरा धीमे से चल,
मेरे आए सनम,
मुझे जाना है,
उनके संग।।
सुन री पहर,
जरा जल्दी गुजर,
मेरे आए बलम,
मुझे जाना है,
उनके संग।।
सुन री लहर,
जरा धीमे मचल,
मेरे आए सजन,
मुझे जाना है,
उनके संग।।
पतली सी डगर,
ऊंचा नीचा सफर,
उन्हें आना है घर,
देखो करना ना,
उनको तंग।।
बनकर बैठी दुल्हन,
बड़ी हसरतों के संग,
लेकर सातो वचन,
कभी छूटे ना,
मेरी मेंहदी का रंग।।
वफा की कसम,
ना तोड़ेंगें हम,
वो हैं मेरे जीवन,
मुझे रहना है,
उनके संग।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ