सुनोगे तो बताएंगे (ग़ज़ल)
सुनोगे तो बताएंगे वफा कर क्या कमाए हैं ?
गमेदिल और अश्कों के सिवा कुछ भी न पाए हैं l
तुम्हें पाने के लिए तरकीब ये भी आज़माए हैं,
कई मंदिर में धागे मन्नतों के बांध आए हैं l
ज़माने से,खुदा से हम शिकायत क्यूं करे यारों ?
हमारी राहों पर अपनों ने ही कांटे बिछाए हैं l
कहे बेशर्म,पागल या कहे नादान खुद को हम,
अलग दुनिया है जिसकी,हम उसे दुनिया बनाए हैं
न आसां था जिसे इक पल नजरअंदाज करना भी,
बहुत रोए मगर उसको भुला कर हम दिखाए हैं l
खुदा उनको बनाए थे, जहां उन पर लुटाए थे,
खता हमसे हुई क्या आज उनके लिए पराए हैं l
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल