सुना है इश्क़ खेल होता है
दिल रौशनी से भरा होता है,
और जहान में रात होती है!!
सच कहता तब मेरी उन दो,
जुगनूओं से मुलाकात होती है!!
दीवार-ए-दिल दर्द से भरा होता है,
कागज-ए-नम बरसात होती है!!
फिर लिखता हूं बस नाम उनका,
जब यूं आँसू भरी दवात होती है!!
गुलाब के साथ कांटे होते हैं,
और हाथों में होती है चूड़ियां!!
खंजर दिल मे उतर जाता है,
जब अपनी मुलाकात होती है!!
सुना है इश्क़ खेल होता है,
बिसातें बिछती है चालों पर!!
यहां कोई जीत ना होती है,
यहां तो बस मात होती है!!
बस यहां फिर हार जाना,
ना कोशिश जीत की करना!!
मिलन के खेल में ही “शशांक”
ऐसी ग़जब करामात होती है!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”