सुनलो मेरे दिल की आवाज़ सुनलो
?हम अपनी इन दुई आँखों से तुम्हें फिर खोजती हैं
याद तुम्हारी इन चार आंखों से आज फिर सोचती हैं
तुम गये दुनियां छोड़ हमारी दुनियां को कर वीरां यूँ
अब आंख में आंसू भी आये तो बताओ कौन पोंछे
कभी गुमसुम होती हम, तो तुम पूछते थे का बात है
आज जरा की इस अवस्था मे हमें ज़रा-सा कौन पूछे
तुम होते तब तो ज़रा तुमसे हम तनिक बतिया लेते
दर्दे-दिल या दिल का दर्द तुमसे ही तो जो कह लेते
आज भी स्वप्न संजोये हैं तुम्हारे हमारी इन आँखों में
दे दो दीदार-अपना तो तनिक मुस्काये इन आँखों में
आँख का पानी भी आज तुम्हारी सुध ढूंढता है
मिलो चाहे ना मिलो ये दिल तुम्हें ही ढूंढता है
आ जाओ हमें लिवाने जैसे शादी कर घर अपने लाये
वक्त अब कौन-गुजरा है वर-बन अपने संग ले जाओ
चले आओ चले आओ वहां हमारे बिन कौन तुम्हारा है
या भूल गये हमकों इरादा अब तिज़ारत का तुम्हारा है
ज़रा सोचो ज़रा सोचो यहां तुम बिन कौन हमारा है
वक्त गुजरा गुजरता है यहां तुम बिन कौन हमारा है
कैसे भी गुजर-बसर करलूं नहीं लगता दिल हमारा है
कैसे कह दूं तुम्हारे बिन नहीं लगता ये दिल हमारा है
बुढ़ापा है बडा दुखदाई हमें किसका सहारा है
जो अपना है,ना अपना किया उसने किनारा है
मेरे इस बूढ़े दिल की लाज रखलो आज रखलो
मेरे तेरे सिवा दुनियां में कौन मुझे आज रखलो
सुनलो अब तुम मेरे दिल की आवाज़ सुनलो
ना धुन-लो सिर मेरे दिल की आवाज़ सुनलो
सुनलो मेरे दिल की आवाज़ सुनलो
सुन……लो सुन………लो……….sss
मधुप बैरागी