सुनता जा शरमाता जा – शिवकुमार बिलगरामी
अपनी सब करतूतें काली , सुनता जा शरमाता जा
क्या क्या तू ने दी हैं गाली , सुनता जा शरमाता जा
आज करोड़ों का मालिक है , कल तक तो फुटपाथी था
कहां-कहां से रिश्वत खा ली , सुनता जा शरमाता जा
नकली टोपी नकली माला , नकली चेहरा नकली भेष
तेरा तो है सब कुछ जाली , सुनता जा शरमाता जा
जिसने तपती धूप में तुझको , शीतल शीतल छाया दी
उसी की तू ने काटी डाली , सुनता जा शरमाता जा
किसको माई बाप बनाया , क्या क्या तू ने खेल रचाया
कैसे तू ने कुर्सी पा ली , सुनता जा शरमाता जा
— शिवकुमार बिलगरामी