सुख शांति मिले
सुख शांति मिले
राह पकड़ वहां चले ,जहां हमें सुख शांति मिले।
चल पड़ो घर निकले ,जहां संतों का संगम, सत्संग मिले । हील हवाला हुआ हृदय माया की बजरिया म,
नहीं मिलेगा सुख शांति हमें, काजल की कोठरिया म।।
चल पड़ो निकलें अब, संतों का सत्संग मिले।
राह पकड़ वहां चले, जहां हमें सुख शांति मिले ।।
खोज चले मनिहार तीर,राशन पानी कहां मिले।
मृत लोक की इस धरा पर,सुख शांति कहां मिले।।
चल पड़ो निकल अब, जहां हृदय कमल खिले।
राह पकड़ वहां चलें, जहां हमें सुख शांति मिले।।
अपना जग में कोंई नहीं,सब स्वारथ के साथी।
कोंआ,गिधवा सम, बेटा लगा देईहैं आगी।।
कर्म करें जग में,मर्णोपरान्त नाम चलें।
राह पकड़ वहां चलें, जहां हमें सुख शांति मिले।।
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़