सुख दुःख
आते है सुख दुःख नित, जीवन है संघर्ष।
खड़े रहो डटकर सभी, आएगा फिर हर्ष।।
राहें खुद मिलती नहीं, जब तक हो न प्रयास ।
छोड़ दीजिए आप अब, खाली बैठे आस।।
जगत तमाशा देखता, ऐसा ही दस्तूर।
हाथ मदद को बहुत कम, लगते फिर सब क्रूर।।
रहते सुख में साथ सब, नहीं दुःख में कोय।
साथ रहें जो दुःख में, वो जन अपने होय।।
आता जाता समय है, ठहरे कभी न आज।
होगी फिर से भोर है, तू कर अपना काज।।