सुख कखनौ नै पौने छी
अश्मशान विहारिणी काली,
चरण में शीश झुकौने छी,
विपदा अछि विक्राल भयंकर,
सुख कखनौ नै पौने छी ।
पुरूब जनम कि अही जनम के,
पापी में हम अग्रणी छी,
कहर रहल छी, हहरि रहल छी,
कोन कोन गति नै पौने छी ।
ताकी रहल छी, थाकी रहल छी,
माय कतौ नै पाबै छी,
भाग हमर माँ विमुख परल अहि,
माय अहुँ ठुकरौने छी ।
ब्रह्माणी रुद्राणी रमा छी,
काली तारा रानी छी,
इन्द्राणी अहाँ भैरवी माता
जानि किये बिसरौने छी ।
अश्मशान विहारिणी काली,
चरण में शीश झुकौने छी,
विपदा अछि विक्राल भयंकर,
सुख कखनौ नै पौने छी ।
उमा झा