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30 Jul 2021 · 2 min read

** सुख और दुख **

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दुनिया में कहीं ना कहीं हर वस्तु का महत्व है। कब कौन सी वस्तु अधिक महत्व रखती है। यह हमें पता नहीं होता है और यह सब समय निर्धारित करता है। कौन महत्वपूर्ण है। कौन नहीं है। वैसे हम कह सकते है।
कि इस दुनिया में ना तो सुख का महत्व है। ना दुख का जब तक मनुष्य जीवित है। तब तक उसके जीवन में सुख है दुख है और यह हर किसी के जीवन में लगे रहते हैं। तो उस जिंदगी का कोई खास महत्व नहीं है। ना तो सुख से उसे किसी अमरत्व की प्राप्ति होगी और ना ही ईश्वर की ,सुख एक ऐसी इच्छा है। जो मनुष्य को जीने की प्रेरणा तो देती है। लेकिन जिंदगी को समझने की नहीं। यही कारण है कि मनुष्य दुखी रहता है।
एक हिसाब से सुख, सुख का कारण भी बन सकता है। जब वह अधिक सुख से परेशान हो जाता है। तो उसे दुनिया का दुख भी सुख नजारा आए। तब एक बदलाव आता है। सुख में आकर इंसान हर स्थिति को भूल जाता है। उसे सुख के आनंद के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता है। ना ही उसे दूसरों के दुख में कोई दुख नजर आता है। उसे अपने सुख से मतलब है। इस दुनिया में सुख-दुख से अलग मनुष्य को किस चीज की है प्राप्ति होती है? ये किसी को नही पता होता है।
लेकिन जिंदगी व्याप्त है। इंसान जितना सुख धन दौलत प्यार मोहब्बत दुनिया से पाता है। तो वह सही गलत की परख भूल जाता है। उसे हर जगह आनंद चाहिए। यह जहां जाता है। चाहता है कि उसे आनंद मिले सुख मिले लेकिन सकारात्मकता हमेशा मनुष्य के साथ नहीं रहती है और सकारात्मकता ही सुख का कारण होती है। कहीं ना कहीं नकारात्मकता उसे घेर ही लेती है। चाहे इंसान चाहे या ना चाहे ठीक उसी प्रकार सकारात्मकता है। जब वह प्रभावी रहती है। तब नकारात्मकता कहीं नजर नहीं आती है।
दुनिया भर की खुशियां भी चाहे मिले दुनिया चाहे आपकी सेवा भी करें धन दौलत की कमी ना हो।लेकिन नकारात्मकता जब हैवी होती है। तब कुछ भी चीज काम नहीं आती है और हर वस्तु बेकार नजर आती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस दुनिया में ना तो सुख का महत्व है और ना दुख का और इन दोनों से अलग हम इस दुनिया में कुछ अन्य प्रभावी वस्तुएं नजर नहीं आती इन्हें वस्तुएं कहे या भावनाएं या विचार कहे यह आपके विचारों पर निर्भर करता है।
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swami ganganiya

Language: Hindi
Tag: लेख
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