“सुकून”
“पूछ बैठा आज मन
“सुकून क्या है “
माँ की ममता ,
पिता का दुलार,
पत्नी का प्रेम ,
पुत्र,पुत्री का स्नेह ,
भाई बहिन का अपनत्व,
अपनो की परवाह,
प्रेमिका से मिलन
दोस्त की संगत ,
प्रभु से मन्नत,
परीक्षा में अच्छे अंक ,
सफलता के पंख ,
सपनों की पूर्ति ,
बेवजह खुश होने की मस्ती ,
मंज़िल का मिलना ,
ख़ुशियों का खिलना ,
यही सब सुकून है ,
बाक़ी सब भ्रम है ,
मानो जैसे खुले आकाश में धूम्र है l
अफ़सोस….
सुकून के पर्याय बदल गये ,
ख़ुशी के अध्याय बदल गये l
बदल गये अब जज्बात लोगो के ,
वक्त की आपाधापी से ,
सुकून पाने के उपाय बदल गये l
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”