सुकून
क्यों, जागते से रहते हो मुझमें तुम कहीं,
रकीब हो या फिर ख़ुदा मेरा।
मिल जाता है क्यों पल में सुकून मुझको,
ख्वाबों में भी अक्स कहीं दिख जाए जो तेरा।
क्यों, जागते से रहते हो मुझमें तुम कहीं,
रकीब हो या फिर ख़ुदा मेरा।
मिल जाता है क्यों पल में सुकून मुझको,
ख्वाबों में भी अक्स कहीं दिख जाए जो तेरा।