सुंदर मुखड़ा ताज है
सुंदर मुखड़ा ताज है
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तू ही मन का राज है,
सुंदर मुखड़ा ताज है।
कैसे हासिल के सकूं,
नभ में उड़ता बाज है।
लटके-झटके देख कर,
गिरती तन पर गाज है।
जन्नत तुम हो खुशनुमा,
बजते दिल के साज है।
मीठे – मीठे बोल सुन,
मिसरी सी आवाज़ है।
तेरे दर्शन हों कभी,
बिगड़े बनते काज हैं।
मनसीरत है अधमरा,
तीखे नख़रे नाज़ हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)